पब्लिक मंच, डबवाली (रवि मोंगा)
मात्र 10 वर्ष की आयु में व्रतों की अठाई कर विलक्षण उदाहरण बनी अनुभवी जैन के सम्मान में शुक्रवार को एसएस जैन स्थानक में तप अभिनंदन-मेहंदी रस्म समारोह का आयोजन किया गया। 8वें दिन शुक्रवार सुबह एक शोभायात्रा निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल हुए। यह शोभायात्रा तेरापंथ भवन के नजदीक स्थित श्री चरण दास के निवास स्थान से रवाना होकर मुख्य बाजारों से होते हुए जैन स्थानक में पहुंच कर संपन्न हुई।
यहां सबसे पहले अनुभवी जैन ने महासाध्वी सुव्रत प्रभा जी महाराज-ठाणे-4 का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर महासाध्वी सुव्रत प्रभा जी महाराज ने कहा कि जैसे सोने को निखारने के लिए उसे अग्रि में तपाया जाता है वैसे ही आत्मा को निर्मल बनाने के लिए तप रूपी अग्रि में तपाया जाता है। तप करने से कर्मों की निर्जरा होती है और आत्मा पवित्र बनती है।
इसके उपरांत अनुभवी जैन की मेहंदी रस्म की गई जिसमें जैन श्रद्धालुओं ने तपस्या के मंगल गीत गाए। समारोह में विधायक आदित्य देवीलाल, नगरपरिषद चेयरमैन टेकचंद छाबड़ा, गौशाला चौटाला के प्रधान ओंकार गोयल, वरिष्ठ इनेलो नेता व पेट्रो डीलर संदीप चौधरी, युवा इनेलो नेता राजू शर्मा के अलावा बठिंडा, रानिया, रोडी, करणपुर, लाल बाई व आसपास के गांवों से जैन समाज के लोग विशेष तौर पर शामिल हुए। जैन सभा के महामंत्री वैद्य मुकेश जैन की पुत्री अनुभवी जैन की अठाई शनिवार को संपूर्ण हो जाएगी। मुकेश जैन ने बताया कि जैन धर्म में अठाई तप के दौरान लगातार आठ दिनों तक सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच केवल पानी ही पीया जा सकता है। इसके अलावा अन्न, फल, जूस व अन्य सभी प्रकार की खाने-पीने वाली वस्तुओं का आठ दिन तक त्याग रहता है। उन्होंने बताया कि जैन सभा में विराजमान साध्वी विशाखा जी महाराज की प्रेरणा से अनुभवी का मन यह कठोर तप करने के लिए बना। इससे पहले कुछ दिन पूर्व अनुभवी एकासना की अठाई भी की थी।
जैन सभा प्रधान सुभाष जैन पप्पी ने बताया कि यह बहुत ही कठोर तप है जिसे 10 साल की आयु में करना ओर भी कठिन है। अनुभवी जैन ने यह कठोर तप करके दिखाया है जोकि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है। श्रद्धालुओं द्वारा यह तप आत्म-शुद्धि के उद्देश्य से किया जाता है। उन्होंने बताया कि जैन स्थानक में महासाध्वी सुव्रत प्रभा जी महाराज ठाणे-4 विराजमान हैं। उनके प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8:15 बजे से 9:15 बजे तक चल रहे हैं। इसमें डबवाली शहर के अलावा आसपास क्षेत्र से भी श्रद्धालुगण पहुंचकर प्रवचनों का लाभ उठा रहे हैं।

