पब्लिक मंच, डबवाली (रवि मोंगा)
ऋषि पंचमी के पावन अवसर पर, बिश्नोई सभा डबवाली के सचिव इंद्रजीत बिश्नोई ने गौ ऋषि स्वामी राजेंद्रानंद जी हरिद्वार को याद करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने बताया कि स्वामी जी का पूरा जीवन गो-सेवा के प्रति समर्पित था। उनका विशेष ध्यान उन गौशालाओं पर था जो आर्थिक रूप से कमजोर थीं।
इंद्रजीत बिश्नोई ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि स्वामी राजेंद्रानंद जी ने अपने जीवनकाल में लगभग 160 कमजोर गौशालाओं को गोद लिया था। वे इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कथाएं करते थे और उनसे प्राप्त होने वाले दान दक्षिणा को पूरी तरह से उन्हीं गौशालाओं को समृद्ध करने में लगा देते थे। इसी निस्वार्थ सेवा और समर्पण के कारण उन्हें "गौ ऋषि" का नाम दिया गया।
स्वामी जी के देवलोक गमन से उनके अनुयायियों और आम जनता में यह चिंता बनी हुई है कि अब उन सैकड़ों गऊओं का पालन-पोषण कैसे होगा, जिनकी देखभाल की स्वामी जी निभाते थे। उनकी कमी को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने अपील की कि समाज के हर वर्ग को आगे आना चाहिए ताकि गौ-वंश की सेवा में कोई कमी न आए।