पब्लिक मंच नेटवर्क, डबवाली (रवि मोंगा)
-गौ ऋषि स्वामी राजेंद्रानंद जी ताउम्र गऊ सेवा में लीन रहे, उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का प्रयास करेंगे: आचार्य विश्वात्मानंद
बिश्नोई धर्मशाला में गौ ऋषि ब्रह्मलीन स्वामी राजेंद्रानंद जी महाराज के निमित्त एक दिन के कथा कार्यक्रम में बिश्नोई आश्रम हरिद्वार से आचार्य विश्वात्मानंद जी, साखी सम्राट स्वामी सुखदेव मुनि जी महाराज, मेहराणा धोरा पंजाब से स्वामी मनोहर दास जी के अलावा भारत देश के कोने कोने से संत महात्मा पधारे। बिश्नोई सभा डबवाली के अध्यक्ष कुलदीप कुमार जादूदा, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार धारणिया, सदस्य जीतराम पूनिया, रामकुमार तरड़ व समाज के अन्य गणमान्य लोगों ने सबसे गुरु जम्भेश्वर भगवान के चित्र पर तिलक किया। तत्पश्चात स्वामी राजेंद्रानंद जी महाराज के चित्र पर तिलक कर उन्हें नमन किया। सभा के पदाधिकारियों ने व्यास गद्दी पर विराजमान आचार्य विश्वात्मानंद जी को तिलक कर उनका स्वागत किया। मंच पर उपस्थित सभी अन्य सन्त महात्माओं को भी तिलक कर उनका सम्मान किया गया। सभा सचिव इन्द्रजीत बिश्नोई ने उत्तर प्रदेश के लोदीपुर धाम से पधारे परविंदर बिश्नोई, सुखबीर सिंह व दूर दराज से पधारे समाज के अन्य सभी गणमान्य व्यक्तियों का कथा कार्यक्रम में पहुंचने पर स्वागत किया। इससे पहले व्यास गद्दी की परम्परा अनुसार स्वामी राजेंद्रानंद जी के सबसे बड़ी उम्र के शिष्य स्वामी मनमोहन दास जी ने आचार्य विश्वात्मानंद जी को व्यास गद्दी पर बिठा कर नम आंखों से आशीर्वाद दिया। स्वामी अमृतानंद जी ने दुखी मन से हमारे गुरु जी को मिला दो जम्भ प्यारे... भजन सुनाया। व्यास गद्दी से आचार्य विश्वात्मानंद जी ने स्वामी राजेंद्रानंद जी को याद करते हुए बताया कि स्वामी राजेंद्रानंद जी बचपन से लेकर अंत समय तक गऊ सेवा में लीन रहे। उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का वे हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि जैसे स्वामी राजेंद्रानंद जी गौशालाओं में बिना किसी दान दक्षिणा लिए कथा करते थे, गौशाला को कुछ न कुछ अपने पास से देकर जाते थे, उनके पदचिन्हों पर चलते हुए मैं भी गौशाला में बिना किसी दान दक्षिणा लिए कथा करूंगा। आचार्य ने कहा कि हमें भगवान को कभी भी नहीं भूलना चाहिए, चलते फिरते हर समय भगवान को याद रखना चाहिए और मनुष्य जन्म की कीमत समझनी चाहिए।
गुरु जम्भेश्वर भगवान की वाणी 'माणक पायो नहीं लखायो' के बारे में समझाया कि इस हीरे जैसे मानव शरीर की कद्र करनी चाहिए। हे मनुष्य तूने संसार के भोग विलास में भजन न करके इस हीरे के मूल्य को समझा नही, पहचाना नहीं। स्वामी गोविंद सरणानंद जी ने राम गुण गायो नहीं...भजन सुनाया। सभी सन्त स्वामी राजेंद्रानंद जी को याद कर भाव विभोर हुए मेहराणा धोरा के महन्त स्वामी मनोहर दास जी ने स्वामी राजेंद्रानंद जी को महान सरल स्वभाव के संत बताया। बिश्नोई सभा डबवाली का धन्यवाद किया कि सभा ने स्वामी राजेंद्रानंद जी अधूरे काम को पुरा कर सराहनीय कार्य किया है राजा दक्ष द्वारा करवाये जा रहे हवन में विघ्न पडने का वृतांत सुनाया। स्वामी जी ने डबवाली शहर को लालासर साथरी जैसा बताया जैसे गुरु जम्भेश्वर भगवान का जन्म स्थान पीपासर ओर मोक्ष लालासर साथरी ओर समाधि मुकाम इसी प्रकार स्वामी राजेन्द्रान्नद जी का जन्म उतरप्रदेश में मोक्ष डबवाली हरियाणा समाधि पतित पावनी मां भागीरथी के तट पर हुआ। इस मौके पर श्री मन नारायण हरि कीर्तन भी किया गया। आदमपुर से स्वामी राजेंद्रानंद जी के शिष्य धर्म प्रचारक रामकुमार भादू ने स्वामी राजेंद्रानंद जी को याद करते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश की सभी गौशालाओं की मांग है कि हरियाणा सरकार को स्वामी राजेंद्रानंद जी को 'गौ सेवा रत्न' की उपाधि देनी चाहिए समाज की सभी संस्थाओ को मिलकर हरियाणा के मुख्यमंत्री से उपाधि देने की मांग को लेकर मिलना चाहिए। उन्होंने एक भजन 'सतचित आनन्द रूप कोई कोई जाण रे' भी सुनाया। डबवाली शहर के बाबा मनसा दास जी डेरे के महंत बाबा दर्शन दास जी भी कथा में पहुंचे। सभा की तरफ से दक्षिणा देकर उनका सम्मान किया
गया।
बिश्नोई सचिव इन्द्रजीत बिश्नोई ने समाज में पिछले दिनों से दुख की घड़ी में ढांढस बंधाने के लिए पहुंचे सभी संत महात्माओं का आभार जताया। आरती के बाद सभी श्रोताओं को प्रसाद वितरित किया गया। कथा कार्यक्रम में बिश्नोई समाज के पुरुष, महिलाएं भारी संख्या में शामिल हुए।