''आज से 541 वर्ष पूर्व श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान (जम्भोजी महाराज) ने मुकाम के समीप समराथल धोरा पर समाज सुधार और मानव कल्याण का संदेश देते हुए 29 नियम बताकर बिश्नोई धर्म की स्थापना की थी। इन नियमों में सत्य, अहिंसा, जीव दया, पर्यावरण संरक्षण और सदाचारपूर्ण जीवन का उपदेश निहित है।''
पब्लिक मंच, डबवाली (रवि मोंगा)
-डबवाली के बिश्नोई मंदिर में होगा हवन यज्ञ, पाहल प्रसाद का वितरण होगा
बिश्नोई समाज द्वारा बिश्नोई धर्म का 541वां स्थापना दिवस मंगलवार, 14 अक्टूबर को देशभर में बड़े हर्षोल्लास, श्रद्धा और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
यह जानकारी देते हुए बिश्नोई सभा सचिव इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि आज से 541 वर्ष पूर्व श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान (जम्भोजी महाराज) ने मुकाम के समीप समराथल धोरा पर समाज सुधार और मानव कल्याण का संदेश देते हुए 29 नियम बताकर बिश्नोई धर्म की स्थापना की थी। इन नियमों में सत्य, अहिंसा, जीव दया, पर्यावरण संरक्षण और सदाचारपूर्ण जीवन का उपदेश निहित है।
गुरु जम्भेश्वर भगवान की प्रेरणा से उस समय जाट, राजपूत, सुथार, कुम्हार, पंडित सहित अनेक जातियों के लोगों ने इन 29 नियमों को स्वीकार कर बिश्नोई धर्म अपनाया। तभी से जो व्यक्ति 29 नियमों का पालन करता है, वही सच्चे अर्थों में बिश्नोई कहलाता है।
उन्होंने बताया कि धर्म स्थापना दिवस के अवसर पर 14 अक्टूबर को समराथल धोरा (मुकाम) में भव्य हवन-यज्ञ, पाठ एवं पाहल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही बिश्नोई मंदिर फतेहाबाद, अबोहर और डबवाली में भी स्थापना दिवस मनाए जाएंगे। डबवाली में श्री राम पुजारी द्वारा 120 शब्दों का पाठ कर हवन यज्ञ करने उपरांत पाहल वितरित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त विभिन्न गांवों के बिश्नोई मंदिरों में भी श्रद्धालु सामूहिक हवन कर गुरु जम्भेश्वर भगवान के उपदेशों को आत्मसात करने का संकल्प लेंगे। इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि यह दिवस बिश्नोई समाज के लिए धार्मिक आस्था, प्रकृति संरक्षण और जीव दया के आदर्शों को पुन: स्मरण करने का प्रतीक माना जाता है।
