पब्लिक मंच नेटवर्क, डबवाली (रवि मोंगा) -जैन धर्म की महान परंपरा का जीवंत प्रतीक है वाणी का यह कठोर तप: सुव्रत प्रभा जी महाराज
कहते हैं कि श्रद्धा और आत्मबल उम्र के मोहताज नहीं होते -इसका जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है डबवाली की मात्र 11 वर्ष की बालिका वाणी जैन ने। वाणी ने 3 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक लगातार अठाई तप अर्थात 8 व्रत धारण किए हैं। इसके अंतर्गत सूर्योदय से सूर्यास्त तक केवल जल सेवन किया जाता है। अन्न, फल सहित खाने-पीने की हर चीज का पूर्ण त्याग रहता है। इतनी कम उम्र में इस कठिन तप को सफलतापूर्वक करते हुए वाणी ने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जैन समाज का गौरव बढ़ाया है।
कहते हैं कि श्रद्धा और आत्मबल उम्र के मोहताज नहीं होते -इसका जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है डबवाली की मात्र 11 वर्ष की बालिका वाणी जैन ने। वाणी ने 3 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक लगातार अठाई तप अर्थात 8 व्रत धारण किए हैं। इसके अंतर्गत सूर्योदय से सूर्यास्त तक केवल जल सेवन किया जाता है। अन्न, फल सहित खाने-पीने की हर चीज का पूर्ण त्याग रहता है। इतनी कम उम्र में इस कठिन तप को सफलतापूर्वक करते हुए वाणी ने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जैन समाज का गौरव बढ़ाया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए जैन सभा के महामंत्री राजेश जैन काला ने बताया कि वाणी जैन ने इस तप का पहले अपने परिजनों को भी नहीं बताया। जब तीसरे दिन पता चला तो मां रेणु जैन, पिता राहुल जैन (राजू), दादा दर्शन जैन तथा दादी तपस्विनी निर्मला जैन भी घर की बेटी का आत्मबल देखकर हतप्रभ रह गए। इसके बाद सभी परिजनों ने पूरी श्रद्धा के साथ वाणी का पूर्ण सहयोग किया एवं जैन समाज को इस बारे जानकारी दी। इस पर आज वाणी जैन के अठाई तप के 7वें दिन पर अनुमोदना यात्रा निकाली गई, जो लाभ चंद जैन के निवास से प्रारंभ होकर जैन स्थानक तक पहुंची। शोभायात्रा में समाज के अनेक सदस्य, महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। सभी ने पुष्प वर्षा और गीतों के माध्यम से वाणी की अनुमोदना की।
जैन स्थानक भवन में विराजमान महासाध्वी सुव्रत प्रभा जी महाराज, उदित प्रभा जी महाराज, उज्जवल जी महाराज व विशाखा जी महाराज ने भी वाणी को आशीर्वाद प्रदान किया। महासाध्वी सुव्रत प्रभा जी महाराज ने कहा, इतनी छोटी उम्र में इतना बड़ा तप विरल उदाहरण है। डबवाली में अनेक लोगों ने व्रत किए हैं, पर वाणी ने तो कमाल कर दिया। यह जैन धर्म की महान परंपरा का जीवंत प्रतीक है।
जैन स्थानक में वाणी जैन की मेहंदी रस्म भी हुई। इस अवसर पर सरपरस्त इंदर जैन, प्रधान सुभाष जैन (पप्पी), आस्था जैन, सोनू जैन, पायल जैन, श्रुति जैन, वाणी के माता-पिता रेणु और राजू जैन, अतिशय जैन तथा किड्स किंगडम स्कूल की शिक्षिका सुनीत गुप्ता ने अपने विचार, कविताएं और अनुमोदना के भाव साझा किए। सभी ने कहा कि डबवाली क्षेत्र के इतिहास में अब तक इतनी छोटी बच्ची द्वारा इतना कठिन तप नहीं किया गया- वाणी ने नई मिसाल कायम की है। वक्ताओं ने कहा कि वाणी का यह अठाई तप न केवल आध्यात्मिक अनुशासन और आत्मसंयम का उदाहरण है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरक संदेश भी है कि दृढ़ संकल्प से हर कठिन साधना संभव है।



